Reproducttive health (जनन स्वास्थ्य) subjective and objective previous Year Questions का Answer
Objective Questions Answer
1. (a) 2. (d) 3. (a) 4. (d) 5. (b)
6. (b) 7. (c) 8. (c) 9. (d) 10. (b)
लघु उतरीय प्रश्न का उत्तर
1. एमिनियोसिन्टेसिस एक तकनीक है जिसके द्वारा गर्भस्थ शिशु के असामान्य गुणसूत्र का अध्ययन किया जा सकता है। इसके लिए Amniotic Fleeid को गर्भावस्था की शुरूआत में थोड़ी मात्रा में लेकर गुणसूत्र के विकार का अध्ययन आनुवांशिक तकनीक द्वारा किया जाता है। यदि कोई विकार हो तो उसे ठीक किया जा सकता है। यदि विकार ठीक होने योग्य नहीं हो तो भ्रूण का गर्भपात करा दिया जाता है।
2. M.T.P. (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) यह मुख्यतः असुरक्षित गर्भपात के कारण होने वाली अप्राकृतिक मातृ मृत्यु को रोकने के लिए होता है। इस कानून के अंतर्गत गंर्भावस्था 20 हफ्तों तक की हो सकती है, जब गर्भावस्था से जन्मजात कुपोषित शिशु उत्पन्न हो जो कि बलात्कार व गर्भनिरोधक गोली का असर न होने पर आती है या माँ को नुकसान पहुँचाती है। M.T.P. सुरक्षित काल 12 हफ्तों तक की है। इसके बाद निर्वात एस्पिरेशन व सर्जिकल विधियाँ अपनायी जाती है। दूसरे सेमेस्टर अर्थात् छः माह के बाद का गर्भपात खतरनाक होता है।
3. भारत सहित पूरी दुनिया में बहुत से दंपति बंध्य हैं अर्थात् उन्मुक्त या असुरक्षित सहवास के बावजूद भी वे बच्चे पैदा कर पाने में असमर्थ होते हैं। इसके अनेक कारण हो सकते हैं, जो कि शारीरिक, जन्मजात, रोग जन्य, औषधिक, प्रतिरक्षात्मक और यहाँ तक कि वे मनोवैज्ञानिक भी हो सकते हैं। भारत वर्ष में प्रायः दंपतियों में बच्चा न होने का दोष स्त्रियों को ही दिया जाता है जबकि प्रायः ऐसा नहीं होता है, यह समस्या पुरुष साथी में भी हो सकती है। विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा इकाइयाँ नैदानिक जाँच में सहायक हो सकती हैं और इनमें से कुछ विकारों का उपचार करके दंपतियों को बच्चे पैदा करने में मदद दे सकती है। फिर भी, जहाँ ऐसे दोषों को ठीक करना संभव नहीं है वहाँ कुछ विशेष तकनीकों द्वारा उनको बच्चा पैदा करने में मदद की जा सकती है। ये तकनीक सहायक जनन प्रौद्योगिकियाँ (ART) कहलाती हैं। आजकल 'टेस्ट ट्यूब बेबी' काफी सफल तकनीक है। इसमें अंडे का निषेचन शरीर के बाहर परखनली में होता है। फिर 8 से 16 कोशिका अवस्था में युग्मज (Zygote) का स्थानापन्न माता के गर्भाशय में होता है जहाँ गर्भ में शिशु का विकास होते रहता है। सर्वप्रथम 1978 में पहला टेस्ट ट्यूब बेवी का जन्म इंग्लैंड में हुआ था। इसे 'Brown Baby' नाम दिया गया।
4. आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान तकनीक है। इसकी मदद से निःसंतान दंपति भी संतान सुख पा सकते हैं। इसमें महिला के अण्डे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एक साथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर या परखनली शिशु (Test tube baby) कहते हैं।
5. चार यौन संचारित रोग निम्नलिखित हैं
(i) एड्स; कारक रोगाणु HIV वायरस।
(ii) जेनाइटल हर्पिस; कारक रोगाणु Type-2 हर्पिस सिम्पलेक्स वायरस।
(iii) सिफलिस; कारक रोगाणु टाईपोनिमा पैलिडेम।
(iv) जोनोरिया; कारक रोगाणु निसेरिया गोनोरिया।
6. गर्भ निरोधक शल्य क्रिया विधियों को बंध्याकरण कहते हैं। मादा में बंध्याकरण को Tubectomy तथा नर में बंध्याकरण को Vasectomy कहते हैं।
7. कुछ स्त्रियाँ अंडाणु उत्पन्न नहीं कर सकतीं; लेकिन निषेचन और भ्रूण के परिवर्धन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान कर सकती हैं। इनमें अन्य दाता स्त्रियोंसे अंडाणु लेकर इनके फैलोपी नलिका में स्थानांतरित (Gamete Intrafallopian Transfer-GIFT) कर दिया जाता है एवं दाता पुरुष के शुक्राणु से निषेचन कर दिया जाता है।
8. गर्भनिरोधक गोलियाँ का उपयोग गर्भावस्था को रोकने के लिए किया जाता है। गर्भनिरोधक पद्धतियाँ अस्थायी हो सकती हैं। आजकल विभिन्न प्रकार को हॉर्मोनों से बनी गर्भनिरोधक गोलियाँ, जैसे माला-N एवं माला-D बाजार में धड़ल्ले से मिलती हैं। ये खाने की टिकिया के रूप में होती हैं। ये गोलियाँ 21 दिनों तक प्रतिदिन ली जाती हैं। इन्हें मासिक चक्र के प्रथम पाँच दिनों में मुख्यतः पहले दिन से ही शुरू करना चाहिए। गोलियाँ समाप्त होने के सात दिनों के अंतर के बाद (जब पुनः मासिक चक्र शुरू होता है) इन्हें फिर से लिया जाता है एवं यह क्रम तब तक जारी रखा जाता है जब तक गर्भनिरोध की आवश्यकता है। गोलियाँ बहुत-ही प्रभावशाली तथा बहुत कम दुष्प्रभावशाली होती हैं। इनके अलावा, सहेली नामक एक अन्य गर्भनिरोधक गोली है जो हफ्ते में मात्र एक बार ली जाती है एवं यह गोली उच्च निरोधक क्षमतावाली होती है। यह स्थायी शुक्राणु या अंड को ले जाने वाली नलियों को बाधित करने से प्रजनन करने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
दीर्घ उतरीय उत्तर
1. स्वस्थ प्रजनन स्वस्थ प्रजनन शारीरिक, भावनात्मक व सामाजिक स्वस्थता की एक अवस्था है जो उत्तरदायी, सुरक्षात्मक व संतुष्ट प्रजनन जीव के लिए होता है। संक्षिप्त रूप से प्रजनन स्वास्थ्य का अभिप्राय सामान्य कार्यों वाले स्वस्थ प्रजनन अंगों से है।
इसके महत्त्व निम्नलिखित हैं-
(i) स्वस्थ व संतुष्टि प्रजनन जीवन जीने के लिए स्त्री व पुरुष दोनों को सावधानी बरतनी चाहिए।
(ii) प्रजनन की उम्र में व्यक्ति को प्रजनन नियंत्रित करने वाली विधियों की जानकारी रहनी चाहिए।
(iii) सूचना प्रदान करना जिससे जनन अंगों को उचित स्वस्थता बनी रहे।
(iv) प्रजनन मार्ग संक्रमण या SRDS के विरुद्ध सुरक्षा।
(v) शिशु योजना अपनानी चाहिए जिससे पारिवारिक जीवन का सुख मिले, बच्चे को अच्छे से अच्छे साधनों के साथ पाला जा सके।
(vi) प्रजनन विकृतियों का जल्दी से जल्दी उपचार करना।
2. गर्भनिरोधन की निम्नलिखित उपाय हैं
(i) गर्भनिरोधक गोलियाँ जैसे माला- N तथा माला D को प्रति माह 21 दिनों तक लेने से गर्भधारण नहीं होता है।
(ii) नर को नसबंदी किया जाता है।
(iii) मादा में फैलोपिय नलिका काटकर धागे से बांधा जाता है, जिसे | ट्यूबैक्टोमी कहते हैं।
(iv) यांत्रिक विधि जैसे कण्डोम पुरुषों के लिए या गर्भाशाय ग्रीकटोपी का प्रयोग किया जाता है।
(v) कॉपर-टी एक आदर्श गर्भनिरोधक है, जो गर्भाशय में लगाया जाता है।
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