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NCERT – Nutrition (पोषण) चेप्टर के महत्वपूर्ण शब्दावली क्लास 10th बिहार बोर्ड

 Nutrition (पोषण) चेप्टर के महत्वपूर्ण शब्दावली क्लास 10th बिहार बोर्ड  

जैव प्रक्रम (Life Process)

वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से जीवों में अनुरक्षण कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।

पोषण (Nutrition)

वह विधि जिसमें जीव पोषक तत्त्वों को ग्रहण कर जैव प्रक्रम हेतु उनका उपयोग करते हैं, पोषण कहलाता है।

प्रकाश-अभिक्रिया ( Light Reaction)

प्रकाशसंश्लेषण की क्रियाविधि का प्रथम चरण जिसमें जल का प्रकाशिक-अपघटन होता है, प्रकाश-अभिक्रिया कहलाता है। 

प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis)

हरे पौधे सूर्य-प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड, जल एवं क्लोरोफिल वर्णक की मदद से अपना भोजन (कार्बोहाइड्रेट) तैयार करते हैं, भोजन तैयार करने की इस प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण कहते हैं।

स्वपोषण (Autotroph)

पोषण की वह विधि जिसमें जीव स्वयं अपना भोजन संश्लेषित करते हैं, स्वपोषण कहलाता है।

स्वपोषी (Autotrophic)

ऐसे जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, उन्हें स्वपोषी कहा जाता है।

अपघटक (Decomposers)

मृतजीवी को अपघटक कहते हैं। Eg. जीवाणु, कवक etc.

अपमार्जक(Scavenger)

वैसे जंतु जो अन्य जंतुओं के सड़े-गले मांस को खाते हैं और इसी क्रम में वातावरण की सफाई भी कर देते हैं, अपमार्जक कहलाते हैं।

रंध्र (Stomata)

पत्ती की सतह पर पाए जानेवाले छोटे-छोटे छिद्र जिनकी मदद से गैसों का आवागमन होता है, स्टोमाटा कहलाते हैं।

पाचन (Digestion)

वह जैविक प्रक्रिया जिसके द्वारा जटिल और अघुलनशील भोज्य पदार्थों का विखंडन सरल, घुलनशील तथा ऊतकों द्वारा ग्रहण करने योग्य पदार्थों में होता है, पाचन कहलाती है।

पित्त(Bile)

यह हरा रंग का एक क्षारीय द्रव है जिसका स्राव यकृत द्वारा होता है। यह वसा का पायसिकरण करता है।

पित्ताशय(Gall Bladder)

यकृत कोशिकाओं द्वारा स्रावित पित्त को संचय करनेवाली छोटी थैलीनुमा रचना पित्ताशय कहलाती है।

अग्न्याशयी रस(Pancreatic Juice)

अग्न्याशय से स्रावित होनेवाले रस को अग्न्याशयी रस (pancreatic juice) कहा जाता है। इस रस में ट्रिप्सिन, एमाइलेज, लाइपेज, न्यूक्लियेज नामक एंजाइम पाए जाते हैं।

विलाई (Villi)

छोटी आँत के आंतरिक सतह पर पाए जानेवाले अनेक अँगुलीनुमा प्रवर्ध जो अवशोषण में भाग लेते है, विलाई का निर्माण करते हैं।

क्रमाकुंचन (Peristalsis)

ग्रास नली की दीवारों में संकुचन तथा शिथिलन की क्रिया एकांतर क्रम से होती रहती है। इस क्रिया को क्रमाकुंचन (peristalsis) कहा जाता है।

प्रकाशसंश्लेषी अंग एवं प्रकाशसंश्लेषी अंगक (Photosynthetic Organelle & Photosynthetic Pigment)

पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग एवं हरितलवक को प्रकाशसंश्लेषी अंगक कहते हैं।

क्लोरोफिल (Chlorophyll)

हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) में पाया जानेवाला वर्णक जो सूर्य की ऊर्जा की सहायता से प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया करता है, क्लोरोफिल कहलाता है।

अप्रकाशीय अभिक्रिया (Dark Reaction)

प्रकाशसंश्लेषण की क्रियाविधि का द्वितीय चरण जिसमें CO₂ का अपचयन या स्थिरीकरण होता है, अप्रकाशीय अभिक्रिया कहलाता है, क्योकि इसके लिए प्रकाश आवश्यक नहीं है।

मृतजीवी पोषण (Saprophytic Nutrition)

इस प्रकार के पोषण में जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से, घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं।

परपोषण (Heterotroph)

पोषण की वह विधि जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित न कर किसी दूसरे स्रोत से प्राप्त करता है, परपोषण कहलाता है।

कूटपाद (Pseudopodia)

अमीबा में पाई जानेवाली रचना जो भोजन अंतर्ग्रहण तथा चलन में मदद करती है।

सीलिया (Cillia)

ये पैरामीशियम के शरीर पर पाए जानेवाले प्रचलन अंगक हैं।

पाचक रस (Digestive Juice)

पाचन ग्रंथियों से निकलनेवाले स्राव को पाचक रस (digestive juice) कहा जाता है।

आहारनाल (Alimentary Canal)

मनुष्य तथा उच्च श्रेणी के जंतुओं में भोजन के पाचन हेतु निर्मित विशेष अंग को आहारनाल कहा जाता है। यह मुखगुहा से लेकर मलद्वार तक लंबी होती है।

एंजाइम (Enzyme)

जटिल भोज्य अणुओं का जलांशन (खंडन) कर छोटे अणुओं में परिवर्तित करनेवाला जैव-उत्प्रेरक अभिकर्मक एंजाइम कहलाता है।

एपेंडिक्स (Appendix)

यह मनुष्य के आहारनाल में पाया जानेवाला एक अवशेषी अंग है।

एमाइलेज (Amylase)

लार में एमाइलेज नामक एंजाइम पाया जाता है जो स्टार्च को माल्टोस में परिणत करता है।

इनामेल (Enamel)

डेंटाइन के ऊपर इनामेल की एक कड़ी परत होती है जो दाँतों को सुरक्षा प्रदान करती है।

दंत्य परत (Teeth Layer)

 दाँतों के ऊपर पाई जानेवाली स्थायी परत, जो दाँतों को अच्छी तरह साफ नहीं करने पर बनती है, दंत्य परत कहलाती है।

दंत अस्थिक्षय (Dental caries)

दाँतों को अच्छी तरह साफ नहीं करने से बैक्टीरिया रासायनिक क्रिया करके दाँतों में छिद्र बना देता है जिसे दंत अस्थिक्षय कहा जाता है।


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